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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

भारत की अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव

शीर्षक - भारत की अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव

लेखिका - रीना कुमारी प्रजापत

आज के लेख के माध्यम से मैं आपको भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी दूंगी। आज़ादी के बाद से अब तक भारत की अर्थव्यवस्था में कब उछाल आया और कब गिरावट आई ?वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति है? और आगे चलकर भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था कैसी रहेगी ? ये सब मैं आज इस लेख में बताऊंगी।

स्वतंत्रता के बाद भारत में तीव्र आर्थिक औद्योगिक विकास के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया। इस व्यवस्था के लिए इतने अधिक नियम कानून बनाए गए कि उनकी आर्थिक वृद्धि और विकास की सारी प्रक्रियाएं रुक गई। अर्थव्यवस्था की बाजारोन्मुख शक्तियां कम होकर सारी अर्थव्यवस्था नौकरशाही के नियंत्रण, प्रतिबंधात्मक शक्तियों और भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर 1991 में गंभीर वित्तीय आर्थिक संकट में फंस गई।
इस समय के प्रारंभ में भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े ही संकट के दौर से गुजर रही थी अब देश के पास खर्च चलाने के लिए पैसे नहीं बच्चे इस स्थिति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास भारतीय अर्थव्यवस्था से डगमगा गया और अब भारत को विनियोग के लायक देश ना मानकर सट्टे के लायक देश माना जाने लगा था।

अब भारत सरकार ने आर्थिक संकट से छुटकारा पाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी स्थिति सुधारने के लिए जुलाई 1991 में आर्थिक सुधारों एवं आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण की नई नीतियों को लागू किया। इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ।
आजादी के समय भारत की GDP( सकल घरेलू उत्पाद) 2.7 लाख करोड रुपए थी जो 2020 के लगभग 209 लाख करोड रुपए हो गई।

1950 से 1979 में भारत की GDP में औसतन 3.5 % की दर से वृद्धि हुई जिसे "हिंदू ग्रोथ रेट" के नाम से जाना जाता है जबकि 2022-23 की GDP 7.2% थी। आजादी के समय भारत के पास 2 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो कि 2020 के लगभग 513 अरब डॉलर हो गया।

1950 में प्लानिंग कमीशन बनाया गया और पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की गई। प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951 से 1956 ) का उद्देश्य भारत को आगामी वर्षों में तीव्र विकास के लिए तैयार करना था। तीसरी पंचवर्षीय योजना सर्वाधिक असफल योजना साबित हुई। चौथी पंचवर्षीय योजना में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया और पांचवी पंचवर्षीय योजना ऐसी योजना थी जिसमें पहली बार निर्धनता के उन्मूलन को प्राथमिकता दी गई थी। अब तक की सभी पंचवर्षीय योजनाओं में से सबसे सफल पंचवर्षीय योजना छठी पंचवर्षीय योजना को माना गया है, आठवीं पंचवर्षीय योजना को "भारत की स्वर्णिम योजना" कहा गया है इसके तहत 1991 के आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए उदारीकरण,निजीकरण, वैश्वीकरण को अपनाया गया था।
12वी पंचवर्षीय योजना का विकास दर का लक्ष्य 9% रखा गया जिसे बाद में 8.2% कर दिया गया और फिर संशोधन कर इसे 8% कर दिया गया। इसका लक्ष्य था कृषि उत्पादन में 10% विकास दर प्राप्त करना, गरीबी अनुपात को 10% कम करना और विनिर्माण क्षेत्र में 10% की औसत वृद्धि दर प्राप्त करना।

1950 से 1951 में हमारे देश का GDP 279618 करोड रुपए था जिसमें से 150191 करोड़ का योगदान प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन , खनन) का रहा जो संपूर्ण जीडीपी का 53.71 % था। द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग, विनिर्माण, गैस आदि) का जीडीपी में 14.35 % का योगदान था वहीं तृतीयक क्षेत्र (व्यापार, बीमा, बैंक, होटल, परिवहन आदि) का योगदान
31.94% था।
1980 - 81 में प्राथमिक क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 38.31 % द्वितीयक क्षेत्र का 23.04 % तृतीयक क्षेत्र का
38.65 % योगदान रहा।
2000 - 01 में प्राथमिक क्षेत्र का GDP में योगदान
25.22 % द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 24.30 % और तृतीयक क्षेत्र का योगदान 50.48 % रहा।
2014-15 में यह योगदान क्रमशः 19.55%,28.21%,52.24% रहा।
जैसे - जैसे समय निकल रहा है और अर्थव्यवस्था विकास की ओर बढ़ रही है GDP में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान घटता जा रहा है और द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र का योगदान बढ़ता जा रहा है।
2017-18 में प्राथमिक क्षेत्र का GDP में योगदान 17.46% द्वितीयक क्षेत्र का 27.78 % तृतीयक क्षेत्र का 54.76 % रहा।

2018-19 में भारत का GDP 6.5% रहा, 2019-20 में 3.9 % रहा, 2020-21 में GDP 5.8% रहा और 2022-23 में 7.2 प्रतिशत हो गया, 2022 में कृषि क्षेत्र में 4.1% वृद्धि रही जबकि 2023 में यह 5.5% हो गई।
2019-20 के प्रथम छमाही में अचल निवेश की वृद्धि में गिरावट के कारण सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन विशेष रूप से सरकारी अंतिम उपयोग में महत्वपूर्ण उछाल से 2019-20 के दूसरे तिमाही में वास्तविक उपयोग में वृद्धि शुरू हो गई। 2020 में कॉविड-19 के कारण भारत में बहुत आर्थिक गिरावट आई जिससे विकास दर कम हो गई लेकिन 2021 में अर्थव्यवस्था में फिर से बढ़ोतरी हुई।

2023-24 में भारत की जीडीपी 3.75 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई जो कि 2014 में लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर ही थी
अब भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
2023 में रियल जीडीपी 7.2% देखने को मिली, 2024 - 25में रियल जीडीपी 6.5 % हो सकती है।
2014 से 23 तक भारत की जीडीपी में 83 फ़ीसदी की बढ़त हुई है।
2030 तक भारत 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2023 में कहा कि उनकी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय ही भारत 10 वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5 वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

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Bhushan Saahu said

Aapne bahut achii jankari hmse share ki..aapka bht bht dhanybad.

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