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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

शिक्षा प्रणाली में परेशानियां और निजी स्कूलों की फीस और किताबों के नाम पर मनमानी

शीर्षक - शिक्षा प्रणाली में परेशानियां और निजी स्कूलों की
फीस और किताबों के नाम पर मनमानी

लेखिका - रीना कुमारी प्रजापत

वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई तरह की समस्याएं और परेशानियां हैं जिससे विद्यार्थियों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वो समस्याएं क्या है? क्या - क्या परेशानियां विद्यार्थियों को इसके कारण होती है? और निजी स्कूलों द्वारा फीस और किताबों के नाम पर जो मनमानी की जा रही है इन सभी के बारे में मैं आपको इस लेख में बताऊंगी।


ऐसा नहीं कि भारतीय शिक्षा प्रणाली पूर्णतया दोषपूर्ण है भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई गुण भी है लेकिन गुण के
साथ - साथ कई दोष भी इसमें विद्यमान है जिनके चलते विद्यार्थियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक है व्यवहारिक नहीं है,
इसमें रचनात्मकता (व्यवसाय, उद्योग धंधों ) आदि का ज्ञान नहीं दिया जाता है। इसमें पढ़ने (रटने )पर ही जोर दिया गया है सीखने पर ध्यान नहीं दिया गया है और ना ही कोई शारीरिक गतिविधियों को शामिल किया गया है जिससे बच्चे सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करने में ही लगे रहते हैं यह पढ़ाई बच्चों पर एक तरह से बोझ की तरह है। विद्यालय में अध्यापक का डर, घर पर माता-पिता का डर कि अगर फेल हो गए तो डांट खानी पड़ेगी, टीचर ने कोई प्रश्न पूछा नहीं आया तो मार खानी पड़ेगी। इसी डर में विद्यार्थी स्कूल में भी सिर्फ रट्टा लगाते रहता है और घर पर भी ऐसा ही करता है। स्कूल में कोई शारीरिक गतिविधियां कराई ही नहीं जाती बस पढ़ना ही पढ़ना जिससे आजकल के बच्चों ने खेलना कूदना ही छोड़ दिया है, जब देखो पढ़ाई में ही लगे रहते हैं।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यवसाय, उद्योग धंधे की कोई शिक्षा नहीं दी जाती। सिर्फ वह पाठ्यक्रम जो कि विद्यार्थी के भविष्य में शायद कभी काम नहीं आने वाला है उसकी शिक्षा दी जाती है विद्यार्थी रट्टा लगा लगा कर उत्तीर्ण होता जाता है बड़ी - बड़ी डिग्रियां भी हासिल कर लेता है लेकिन रहता बेरोजगार ही है क्योंकि यह सब करने के बाद भी नौकरी करने के लिए उसे अलग से कोचिंग कर नौकरी के लिए तैयारी करनी पड़ती है और भारतीय शिक्षा प्रणाली बहुत महंगी है जिससे विद्यार्थी जैसे तैसे पैसों का इंतजाम करने के बाद यहां तक पहुंचने के बाद भी बेरोजगार ही रह जाता है। और अगर धन की व्यवस्था कर कोचिंग कर पूरी तैयारी करके उसने नौकरी पाने के लिए एग्जाम भी दिए, इतना करने के बाद भी विद्यार्थी नौकरी लग जाए तो ठीक क्योंकि आजकल पेपर लीक का दौर चल रहा है हर तरह का पेपर लीक हो जाता है जिससे वह नौकरी नहीं लग पा रहे हैं और बेरोजगार ही बैठे हैं। क्योंकि अब आगे उनके पास कोई स्किल हो तो वह उसका प्रयोग कर अपना रोजगार शुरू कर सकते है लेकिन उनके पास तो कोई स्किल (कौशल) ही नहीं है क्योंकि उन्हें रचनात्मक शिक्षा तो विद्यालय में दी ही नहीं गई है।सिर्फ और सिर्फ किताबी ज्ञान दिया गया है। उनमें समझ विकसित नहीं हो पाई है, उन्हें जो काम नहीं आने वाला था वह रटाया गया लेकिन ऐसा कुछ नहीं सिखाया गया जिससे कि विद्यार्थी आगे चलकर अपना रोजगार पा सके।
यही वजह है कि भारत में शिक्षित तो सभी है लेकिन रोजगार नहीं है इसी वजह से आज बेरोजगारी ने देश में कोहराम मचा रखा है जिससे विद्यार्थियों को युवाओं को बहुत ही परेशानियों से जूझना पड़ रहा है

हालांकि अब जो नई शिक्षा नीति 2020 आई है उसमें नियम बनाया गया है कि अब स्कूल में बच्चों को रटाने के बजाय समझाने पर ध्यान दिया जाएगा और स्कूल में उन्हें व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाएगी।

निजी स्कूलों की फीस वह किताबों के नाम पर मनमानी:-

निजी स्कूलों ने फीस, किताबों और यूनिफॉर्म को लेकर बहुत ही लूट मचा रखी है। बच्चों के
माता - पिता को यह कहकर कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाएगी मनमानी फीस वसूल करते हैं और फीस के बाद यूनिफॉर्म और किताबें भी स्कूल से ही दी जाती है इनके लिए बच्चों से अलग से भारी फीस वसूली की जाती है बच्चों पर यूनिफॉर्म और किताबें स्कूल से ही लेने का दबाव डाला जाता है और अगर स्कूल से किताबें नहीं देते हैं तो बच्चों के माता - पिता को कुछ चुनिंदा दुकानों से ही किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए कहते हैं क्योंकि उन दुकानों से उनकी बातचीत पहले ही हो रही होती है जिससे कि वह दुकान वाले ज्यादा पैसों में बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म देते हैं और फिर निजी स्कूल वाले उन दुकानों से कमीशन ले लेते हैं इस तरह से किताबें व यूनिफॉर्म पर कमीशन कमा कर और अच्छी शिक्षा का झांसा देकर निजी स्कूल भारी फीस वसूल करते हैं।

हालांकि इसके लिए भी राज्य स्तर पर सरकार और शिक्षा विभाग ने कुछ नियम तय कर दिए हैं अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो उस पर कार्यवाही की जाती है।















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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Yachana Agrwal🙈🙉🙊 said

Aaj ka sabse aham mudda h ye. Aapne bhaut ache se uthaya h.

Jivani Sharma said

Aapne bahut ache subject pr article likha ha mam. Ye to bahut hi aham samsya ha. Aaj kal private schools m apne bache ko pdhana itna muskil ha ki bas insan sochne pr majbur ho jata ha ki kya girvi rakhe tab fees de. Itni fees fir course dress bahut mahnga.upr se extra circular activities ke naam pr har dusre din pese. Pta nahi iska samadhan kon krega.

Suhani Rajput said

Ye private school balo pr to kaaryavaahi krni cahahy. Bahut jyda fees lete hain.

Lekhram Yadav said

नमस्कार मेरी प्यारी बहना। आप एक बिल्कुल सही और ज्वलन्त मुद्दा उठा रही हैं। यह जान कर अति प्रसन्नता हुई। मुझे आशा हैकि भविष्य में भी ऐसे मुद्दों पर रौशनी डाल कर समाज के समक्ष प्रस्तुत करती रहेंगी ताकि अन्याय के विरूद्ध लड़ाई को जारी रखा जा सके।

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