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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इश्क़ में हमेशा बस यही दस्तूर होता है-ताज मोहम्मद

इश्क़ में हमेशा बस यही दस्तूर होता है।
यह जिससे भी करोगे वही दूर होता है।।1।।

दिलदार से दिलदार मिलता नही कभी।
फिर भी आशिको को ये मंजूर होता है।।2।।

खुद के दिल पे न कोई जोर चलता है।
हर दीवाना इसमे बड़ा मजबूर होता है।।3।।

उनकी मोहब्बत अब लबों पे आयी है।
हर सच्चा इश्क़ हमेशा मशहूर होता है।।4।।

क्यों ना लड़ जाये वह सारे ज़माने से।
दीवानों को आशिकी पे गुरुर होता है।।5।।

नशा है इश्क़ आशिकों के दिलो का।
इसमे हर पल ही एक सुरूर होता है।।6।।

यह इश्क़ है चाहत का गहरा समंदर।
गर डूबे इसमें फिर ना उरूज़ होता है।।7।।

डरता नही है इश्क़ मौत के अंधेरों से।
दिले आशिकों में वफा का नूर होता है।।8।।

दिल क्या करे जब कोई इसमें घर करे।
मोहब्ब्त करना बस इसे मंसूब होता है।।9।।

मुहब्बत के सिवा कहां कुछ सूझता है।
इश्क में इंसा बड़ा ही मसरूफ होता है।।10।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Bhushan Saahu said

Waah....lajabab taj shahab.

Keshav Atri said

Bilkul yahi hota ha.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Ek Ek pankti vyapakta se paripurn hai,, bahut khoob taaj sahab Ishq aur sachhe Prem ko Purntaya Paribhashit kar diya aapne🙏🙏👏👏

श्रेयसी said

Bahut khoob

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