चाँद मेरी बात पे,
नखरे वो करता है क्यूँ
कहता हूँ आ जाओ घर,
आने से डरता है क्यूँ
क्यूँ छुपा है बादलों में,
बदली की वो चादरों में
क्यूँ रूठा है वो मुझसे अब भी
झांकता हूँ जो खिड़कियों से
याद में उसके कहीं
टकटकी इस आँख से
जागकर उस ख़्वाब से
मिलता हूँ मैं रात भर
क्या है वो जो, है गुरुर
मुझसे हर पल रहता दूर
बन के खुशबू की उदासी
रहता दिल के बाग में
सबसे कहता जां है वो,
रहता हूँ इस नाज़ से
बहकी- बहकी नज़र है उसकी
बहके सारे मिजाज़ वो
लुका छुपी में दिन बीते
आता नहीं मेरे हाथ वो
मनोज कुमार यकता

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




