तुम भूत नही मेरा वर्तमान ही तो हो...!!
वो जो धड़कता इधर भी और उधर भी
इंतजार ख्यालो में इधर भी और उधर भी
वक़्त बदलता रहता
कभी खाली सा, शांत सा, जिसमें इश्क रहता
मगर अगली धड़कन को उम्मीद मिलन की होती
पलकें जब झपक कर खुलती
तो अपने प्यार को ढूंढती
उसको पाती नहीं तो फिर सोच में डूबती
इस तरह का सिलसिला चलता रहता
इंतजार कुछ इस तरह कभी मन को व्यथित करती
बारिश याद करके देख लो,
जिसपर गिरती है भिगा देती हैं
मगर पता है 'उपदेश',
बारिश कम हो तो उमस भड़क जाती है
उस उमस से जो प्यास जगती है
इसे तड़प कहते ...तुम वो हो।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद