तीर ताने हैं शिकारी आड़ में
और परिंदे हैं खुले आकाश में।।
दोस्तों को भूलना मुमकिन कहां
दर्द इतना दे गए सौगात में।।
फूल पर उनका हमेशा हक रहा
सिर्फ कांटे ही हमारे हाथ में।।
मर गया एक आदमी फुटपाथ पर
भूख का टुकड़ा लिए था साथ में।।
हम अंधेरे में मंजिल पाएंगे जरूर
सच अगर होगा हमारी बात में।।
दास अपने आप में सिमटो नहीं
कद कभी मिलता नहीं खैरात में।I