तुम क्या जानो कि कितना पूजते हैं हम तुम्हें,
देखनी है मेरी पूजा तो आना कभी मेरे आशियाने में
हर तरफ़ तस्वीर तुम्हें तुम्हारी ही दिखेगी।
तुम क्या जानो कि कितना चाहते हैं हम तुम्हें,
देखनी है मेरी चाहत तो कोशिश करना कभी
मेरी डायरी को पढ़ने की हर पन्ने में तुम्हें
तुम्हारे लिए बेकरारी ही दिखेगी।।
तुम क्या जानो कि कितना जानते हैं हम तुम्हें,
जानना है ये तो पढ़ना कभी मेरी नज़्में
हर नज़्म में दास्तां तुम्हारी ही होगी।
तुम क्या जानो कि कितनी आरज़ू है हमें तुमसे,
जानना है तो पढ़ना कभी हमारा मन
कोने - कोने में कितनी ही ख़्वाहिशें मिलेगी।।
तुम क्या जानो कि कितना याद करते हैं हम तुम्हें,
पढ़ना कभी मेरी ग़ज़लें
यादें उनमें तुम्हारी ही झलकेगी।
तुम क्या जानो कि कितनी फ़िक्र करते हैं हम तुम्हारी, सुनना कभी मेरी धड़कनों को
तुम्हारी फ़िक्र में धड़कने मेरी हमेशा तुम्हें
तेज ही सुनाई देगी।।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐