हो बहुत खुश ऐसा दिखलाती है,
अपने गम वो मुझसे छिपाती है।
मेरे दोस्तों से अकसर कहती है,
उसकी याद मुझे बड़ा रुलाती है।
मैं हूँ किसी और का, जानती है,
फिर भी वो ये रिश्ता निभाती है।
जब कोई कहता उसे भूल जाओ,
वो मुझे अपनी धड़कन बताती है।
मुफ्त मिला जिसे उसे कद्र नहीं,
वो खो के दिन-रात पछताती है।
🖊️सुभाष कुमार यादव