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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

लिखन्तु डॉट कॉम पर पाठकों द्वारा पसंद की गयीं शीर्ष १० रचनायें, जो उनका मन लुभाने में कामयाब रहीं - अप्रैल २०२४

Apr 13, 2024 | बहुचर्चित | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 25,330


लिखन्तु डॉट कॉम पर अप्रैल २०२४ में पाठकों के मन को छू जाने वाली रचनायें एवं उनके रचनाकार - लिखन्तु डॉट कॉम शुरुआत से ही रचनाओं एवं रचनाकारों को अपने पाठकों तक पहुंचने के लिए कर्मबद्धय है, वहीँ पाठक अपनी प्रतिक्रियाओं एवं पठन से लिखन्तु डॉट कॉम के साथ साथ रचनाओं और उनके रचनाकारों को भी प्रोत्साहित करते हैं, उसी श्रंखला में अप्रैल २०२४ की शीर्ष १० कवितायेँ प्रस्तुत हैं।



1. मुझे प्रीत में ये मंज़ूर नहीं !! - वेदव्यास मिश्र

तुम रूक जाओ मैं बढ़ जाऊँ,
मुझे प्रीत में ये मंज़ूर नहीं !!
हमको मिलकर संग है चलना,
तेरा-मेरा मंज़ूर नहीं !!

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2. कुछ शख्श मिले - अशोक कुमार पचौरी

चला,रुका,
फिर चला,
यह शिलशिला,
यूँ ही चला,
न चल सका,
न रुक सका,
ऐसे ही चलता रहा,
कुछ शख्श मिले,
कुछ कह गए,
कुछ ध्यान दिया,

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3. जहाँ जहाँ पर नाम तुम्हारा होना था - ज्ञानप्रकाश आकुल


जहाँ जहाँ पर नाम तुम्हारा होना था
वहाँ वहाँ पर,
अब भी रिक्त स्थान पड़ा है!

महलों में रहने वाले से पहरों तक

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4. जीवन में कुछ शायरी तो होनी ही चाहिए - वेदव्यास मिश्र

जीवन में कुछ शायरी तो
होनी ही चाहिए,
कुछ नग़में कुछ रोमांस तो
होनी ही चाहिए !!

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5. इंद्रधनुषी जीवन - डाॅ.प्रियंका कुमारी

जीवन के हैं कितने रंग।
कई लड़ रहे जीवन का जंग।
कई के हुए पाॅकेट तंग।
कोई जीतता जग का ढंग।
कई के हुए प्रतिज्ञा भंग।
सब देखकर रह गए दंग।

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6. अपने कुछ यूं बदले - रीना कुमारी प्रजापत

कुछ यूं बदले अपने
जैसे शाम हुई हो
शाम ने अंधेरा किया
पर फिर उजाला भी हुआ,
लेकिन अपने
कुछ यूं बदले
कि अंधेरा तो हुआ

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7. ग़ज़ल - राहुल कुमार

तुम को पा लेने की चाहत है दिल में
पा कर तन्हा रहने का खौफ भी है

तुम को देख के जिंदगी जीना मंजूर है
बिन तेरे दीद के जिंदगी मौत सी है

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8. पाषाण प्रतिमा सी - विजय भारती गुप्ता

जीवन कभी दुखों से आहत,
नियति जान जीता जाए,
आते ज्वार भाटे ,
बस में नहीं कुछ,
बद्दुआओं कभी जाने दो ,
जीवन चक्र बदलता जाए,
बन जाता मृत सागर,
आसूं क्षारीय,

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9. कुछ दूब उगी है हरी भरी - अशोक कुमार पचौरी

आनंदित कोलाहित है,
मौसम भी लालायित है,
महके महके हैं कुसुम,सुमन,
उपवन कितना महक रहा,
ये गगन में उड़ते खग देखे?
चह -चह से कितना चहक रहा,
कुछ लता पता भी बिखरी हैं,

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10. "गाँधी तेरे देश में" - राजेश कुमार कौशल

चर्चित व्यक्तित्व,विनम्र चेहरे,
निकृष्ट अंतःकरण, भेद गहरे,
अंधे पहचानते रंग-शक्लसूरत,
गाली-गलौज के गवाह वैहरे !
......

सफ़ेद पोशाकें, संगीन वारदातें ,
धार्मिक इमारतें, घिनोनी शरारतें ,
भोली सूरत, हैवानियत की मूरत,

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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

नीता शास्वत said

अत्यंत प्यारी रचनायें - खासकर "पाषाण प्रतिमा सी - विजया गुप्ता", "अपने कुछ यूं बदले - रीना कुमारी प्रजापत " एवं "मुझे प्रीत में ये मंज़ूर नहीं !! - वेदव्यास मिश्र" इसके साथ साथ अन्य रचनायें भी प्रभावशाली है , सभी कवियों को धन्यवाद - बहुत ही प्यारी रचनायें हैं - धन्यवाद इतने सुन्दर लेखन के लिए - [एक पाठक]

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