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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

बाज़ारवाद - अध्याय - 2 - कहानी निष्ठा की - वेदव्यास मिश्र


निष्ठा ने एक अपनेपन की उम्मीद से मैनेजर वाडेकर जी की ओर देखा और पूछा कि क्या किया जाये ।

वाडेकर जी ने साफ-साफ कहा कि निष्ठा मैम, डिसीजन तो आपको ही लेना है !

आपको जो उचित लगे ,वही बता दीजिये इन्हें।

मेरे हिसाब से एडवांस मगर कुछ ज्यादा ही कम लग रहा है..एड कम्पनी के मैनेजर को देखते हुए वाडेकर जी ने कहा ।

आप ही बता दीजिये वाडेकर जी,
कि कितने में डन करना है..फाइनल बताइये ?

वाडेकर ने कहा निष्ठा से -
पहले ये डिसाइड कर लीजिये निष्ठा जी कि इस एड मेंआपको काम करना भी है या नहीं !

उसके बाद ही एडवांस की बात करेंगे !

निष्ठा ने बातों की गम्भीरता को समझे बिना ही ओ. के. कह दिया !

अबकी बार वाडेकर जी ने निष्ठा
की तरफ देखते हुए अन्त में एड मैनेजर को कहा-
पाँच अभी एडवांस, बाकी काम होने के बाद ।
अगर मंज़ूर है तो डन करिये वरना अपना रास्ता नापिये !

एड कम्पनी का मैनैजर वाडेकर जी की बातों को तत्काल मान गया और पाँच लाख निष्ठा के खाते में ट्रांसफर भी कर दिया और काॅन्ट्रेक्ट पेपर में कई जगह साइन ले लिया ।

एड कम्पनी के मैनेजर द्वारा एक दिन के बाद ठीक दूसरे दिन के 10 से 2 बजे का शेड्यूल बता दिया ।

××××××

अगले ही दिन फिल्म का डायरेक्टर भी आ गया था निष्ठा से मिलने ।
आते ही उसने निष्ठा की तारीफ करते हुए कहा-
मुझे मेरी अगली मूवी के लिए बिल्कुल तुम्हारे जैसा ही हीरोइन चाहिए था. और आज मिल भी गया !

तो निष्ठा जी-
क्या आप मेरी अगली मूवी " डांस पे चांस मार ले " मूवी में काम करेंगी !!

निष्ठा के लिए तो समझना ही मुश्किल हो रहा था कि वह आखिर करे तो क्या करे ।

फिर से उसने वाडेकर की ओर देखा तो वाडेकर ने कहा इशारे से..
हाँ कर दो हाँ !

और निष्ठा ने हाँ कर दी !

डायरेक्टर ने शाइनिंग एमाउंट के तौर पर निष्ठा के खाते में दस लाख ट्रांसफर कर दिया था !!

अब बारी थी काॅन्ट्रेक्ट पेपर में साइन करने की तो निष्ठा ने बिना पढ़े ही कई जगह साइन कर दिया ।

वाडेकर ने निष्ठा को बधाई दी मूवी और एड एजेन्सी में काम मिलने के लिए।

निष्ठा ने थैंक्स कहा वाडेकर जी को ।

वाडेकर ने निष्ठा से कहा..
इफ यू डोन्ट माइंड...बट इस टू स्टार होटल का बिल फिलहाल बहुत ज्यादा हो चुका है !!

हम लोगों का अरेंजर भाई जी, अंडरवर्ल्ड के चक्कर में अन्दर जा चुका है ।

अगर तुम्हारे पास डेढ़ लाख हो तो पाँच दिन का पेड करना है ।

आगे तो काम और पैसा दोनों मिलेगा ही ..हम लोग उसी में एडजस्ट कर लेंगे !!

निष्ठा ने एक पल की देरी किये बिना ही डेढ़ लाख वाडेकर के खाते में ट्रांसफर कर दिया ।
××××××

ठीक इसके अगले दिन ही एड की शूटिंग थी -
शेड्यूल टाइम में निष्ठा पहुँच चुकी थी ।
सेट तैयार था !

वहाँ के एड डायरेक्टर और जाने-माने फैशन डिजाइनर मलहोत्रा ने उसे समझाना शुरू किया कि आपको दिये गये इनर वियर ब्रा और पेन्टी पहनकर फैशन वाक करते हुए आना है..मुस्कराते
हुए ...
बस आपको इतना ही कहना है..इसे पहनने के बाद लगता ही नहीं कि मैंने कुछ पहना भी है ।

बस इतना ही करना है आपको !

ओ.के...आर यू रेडी ??

निष्ठा तो हैरान भी थी और परेशान भी।
दिक्कत यही थी कि वह इनर वियर का मतलब ठीक से समझ ही नहीं पाई थी क्योंकि वह समझ ही नहीं पा रही थी कि ये सब अचानक-अचानक आखिर हो क्या रहा है ।

निष्ठा जब वाडेकर से बोली-
ये सब क्या है, आपने मुझे पहले ये सब कुछ क्लियर बताया क्यों नहीं ?

मुझे नहीं करना ये सब ।
मुझे अपने घर वापस जाना है..मेरा टिकट कटा दीजिये..प्लीज !!
मुझे ये सब नहीं करना है !
मैं अपने मम्मी-पापा को क्या मुँह दिखाऊँगी !
क्या सोचके आई थी..और क्या बनाके रख दिया है आप लोगों ने ।

एड कम्पनी का लिगल एडवाइजर और काऊंसलर दोनों ने ही निष्ठा को समझाना शुरू किया-
देखिये मैम,
आप एडवांस में पाँच लाख रूपया ले चुकी हैं..बाकी पाँच लाख अभी एक घंटे के बाद काम होते ही आपको दे दिया जायेगा ।

ये सब काॅन्ट्रेक्ट पेपर में लिखा हुआ है और आपने साइन भी किया हुआ है ।

आप एक जानी-मानी ब्रांडेड इन्टरनैशनल कम्पनी के लिए एड कर रही हैं !

आप बहुत जल्दी मार्केट में छा जायेंगी ।
इस काम को पाने के लिए कई लोगों के एप्रोच आते हैं मगर एड कम्पनी ने आपको सेलेक्ट किया है..ये बहुत बड़ी बात है !

एक बात और..अगर आपने काम करने से इनकार किया तो आपको एक करोड़ के मानहानि का सामना भी करना पड़ सकता है और आप अन्दर भी जा सकती हैं !

हमारा काम समझाना है..अब फैसला आपके ऊपर है..कॉन्ट्रेक्ट को मानना या इनकार करना ।

फैसला करने से पहले आप ये ज़रूर सोच लीजिये कि यही मार्केट है..यही बाज़ार है..यहाँ इनसान बिकता है प्रोडक्ट की तरह ..सामान की तरह ।

यहाँ इमोशन मायने नहीं रखता ..यहाँ सिर्फ ये मायने रखता है कि अभी आपकी कीमत क्या है?
वेल्यू क्या है ??

ये बाज़ार है और यहाँ बाज़ारवाद चलता है ।
यहाँ कोई बिकता है तो , कोई खरीदता है।
इस बाज़ार में अगर वेल्यू है तो दस क्या हज़ार कंधे भी नसीब हो जायेंगे मरने के बाद ।
और अगर मरने के बाद कोई नहीं जानता तो सरकारी खर्चे पर ही उस हीरो-हीरोइन या डायरेक्टर का क्रिया-कर्म होता है !
भले ही वो अपने ज़माने का फेमस स्टार हो।

यहाँ आदमी नहीं मरता..सपने मरते हैं ।

हजारों में कभी कोई एक बन्दा सुपरस्टार हो जाता है और ये इन्डस्ट्री बस ऐसे ही चलती रहती है किसी एक सुपरस्टार के दम पर ।

निष्ठा ने अनमने ढंग से ही सही मगर शूटिंग किया ..वो भी पूरे को-ऑपरेट के साथ क्योंकि वह समझ चुकी थी कि घर और बाज़ार में बहुत ही अन्तर होता है !
वह घर से निकलकर बाज़ार में आ चुकी है । बाजार के नियम क़ायदे को मानना मज़बूरी ही सही मगर ज़रूरी तो है ही ।

क्योंकि यहाँ कोई उत्पादक है तो कोई उपभोक्ता।

खाद्य शृंखला है यहाँ का जीवन ..बड़ी मछली- छोटे मछली को खा जाती है और बड़ी मछली को अन्य जीव-जन्तु ।

और जिसे कोई न खाये ,उसके लिए तो मानव है ही..जो खुद ही उत्पादक है और खुद ही उपभोक्ता । खुद ही विक्रता
है और खुद ही खरीददार।

निष्ठा, कुछ ही सालों में पूरी तरह छा गई थी बालीवुड की चमचमाती दुनिया में !

सुनने में आया है - उसे अब बाज़ारवाद की लत लग चुकी है क्योंकि बाज़ारवाद ने उसे फ्लैट दिया..मँहगी मर्सिडीज भी दी..और वो सब कुछ भी दिया जो एक इनसान के लिए किसी सपने से कम नहीं होता है ।

सबकुछ था मगर सब कुछ बनावटी था इस बाज़ार में ।
फिर कभी मुलाक़ात होगी निष्ठा से तो आगे का हालचाल जरूर बताऊँगा आप सभी को !

बाज़ारवाद विषय चर्चा श्रंखला में लेखक : वेदव्यास मिश्र की काल्पनिक कहानी

अध्याय - 1 पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।


यह रचना, रचनाकार के
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