खुदा ढूँढने की जरूरत ही नही।
प्रेम मिले उससे बढ़कर वज़ह नही।।
एक अदद दोस्त के साथ तुम जियो।
उससे अच्छी जीने की वज़ह नही।।
पत्थरों के शहर मैं एहसास-ए-दिल।
मिल गया अगर रोने की वज़ह नही।।
जिन्दगी में मनमुटाव फिर लगाव।
उतार चढाव से विचलित वज़ह नही।।
अकेले से जन्नत बनाने की कोशिश।
तन्हाई उसकी 'उपदेश' कोई वज़ह नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद