भींगे नयनों की मधुशाला में
प्रीतमय कल्पित प्याला से ।
पीती भर भर पीर की हाला
बहती बिखर बावली बाला।
सुर संगीत सुहानी सरगम
गाती म्लान के गीत कोमलतम।
संवारती वीणा के तारों की झंकार
सांवरे, वेदना पुंज हृदय के द्वार।
प्रिय, जब तुम्हारी याद आती।।
खोजती भागती इत उत दीन
पूछती पता निमेष विहीन।
पग - पग फेरती अश्रु की माला
प्रेयसी प्यारे प्रकाश ज्वाला।
निशा निधि नैनों में समेटे
निर्मित करती सुधा रस लेटे।
बाँध पैरों में नूपुर ध्वनि राग
करती नृत्य संवेदना आराध्य।
प्रिय, जब तुम्हारी याद आती।।
_ वंदना अग्रवाल 'निराली'