सच का साया
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
भले ही क्षण भर को लगे धुंधला सा,
पर सच का साया कभी न मिटता है।
झूठ के महल भले ही ऊँचे बनें,
सच्चाई का सूरज उन्हें गिराता है।
कभी धीरे-धीरे, कभी अचानक ही,
यह अपनी पहचान ज़रूर कराता है।
छिप जाए कितने भी परदों के पीछे,
एक दिन यह खुलकर सामने आता है।
यह अंतरात्मा की आवाज़ है सच्ची,
जो कभी भी धोखा नहीं देती है।
भले ही दुनिया करे इनकार इससे,
यह अपने पथ पर अडिग ही रहती है।
सच का साया है शीतल और पावन,
जो देता है मन को सुकून गहरा।
झूठ की तपती धूप में जलते हुए,
यह राहत की लाता है एक ठंडी बहरा।
तो चलो हमेशा सच के ही साए में,
भले ही राह में हों कितनी भी बाधाएँ।
अंत में जीत हमेशा सच की होती है,
यह जीवन का शाश्वत है कायदा।