हे मानव तूने क्या देख लिया,
आँखों में आँसू देख लिए,
दिल में दर्द देख लिया,
हाथों में काम देख लिया,
पैरों में सफर देख लिया,
जुबां से कलम का निशान देख लिया,
पलकों से गिरता आसमां देख लिया,
मन से सारा जहां देख लिया,
नाक से मिली है ख़ुशबू,
और अरमान देख लिया,
बहता रहा मेरा पल पल,
खुद के लिए रिश्तों का कारवां देख लिया,
अब जो देख रहा है,
उसको देख रहा हूं।।
- ललित दाधीच।।