"दास्तां -ए -शायरा" कुछ मेरी
कुछ मेरे अपनों की कहानी है,
जो भी है मेरी कलम की ज़ुबानी है।
मेरा रंग बयां करती है,
मेरा ढंग बयां करती है।
"दास्तां -ए -शायरा",
जीने का मेरा एक अलग
अंदाज़ बयां करती है।
मेरी हक़ीक़त बयां करती है,
मेरी फितरत बयां करती है।
कुछ अपनों का प्यार,
तो कुछ नफ़रत बयां करती है।
मेरी ख़ामोशियाॅं बयां करती है,
मेरा प्यार बयां करती है।
जो मैं ज़ुबां से कह ना पाई,
वो "दास्तां -ए -शायरा" कहती है।
मेरा कल बताती है,
मेरा आज बताती है।
"दास्तां -ए -शायरा"
मेरी ख़्वाहिशें जताती है।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️