कुछ हलचल हुई,
कहीं पता तो चला,
अखबार में, मोबाइल में, भाषण में
बजट में कहीं जिक्र तो था ,
घोषणाएं हुई विभिन्न पदों की और सरकारी कर्मचारी बनने सौभाग्य तो हुआ,
ये कहना पड़ोसी को और रिश्तेदारों को,
ये कहने के लिए आवेदक जिंदा तो था,
अधिसूचना आई उक्त विभाग के पोर्टल पर छाई,
विज्ञप्ति आई विस्तार से,
आवेदन के दिन आए,
आवेदन भरे गए,
वो ही आकाश पाताल एक करना,
सब पढ़ना है,
आवेदन भी जमा हुआ,
बच्चे कहीं न कहीं कोने में, कमरे में और पुस्तकालय में पढ़ते रहे,
जीवंतता वाले पड़े रहे,
और फिर निकट आई परीक्षा की सीमाएं,
कोई नकल ना कराएं,
परीक्षा हुई,
इतने गए, इतने रह गए
अब बारी है उत्तरमाला की कितने सही है,
अब होगा सामान्यीकरण,
रिजल्ट आया, कट ऑफ के दायरे है या नहीं,
ये देखा और कुछ आशा से बढ़े और कुछ निराश रह गए,
दस्तावेज सत्यापन भी हुआ,
लेकिन नियुक्ति कब किसे मिली ,
इस पर आवेदक कह गए,
आवेदन भरा तो था,
ये कर्मचारी कहां रह गए।।