जरा धीरे धीरे चल ए मेरी जिंदगी,
क्योंकि कुछेक दर्द को मिटाना
अभी बाकी है ए जिंदगी,
कुछेक फर्ज निभाना
औरो की तरह बाकी है ए जिंदगी,
जरा धीरे धीरे चल ए ए मेरी जिंदगी,
जिंदगी के भाग दौर में
कुछेक हसरतें बाकी है ए जिंदगी,
जरा धीरे धीरे चल ए मेरी जिंदगी,
क्योंकि कुछेक रुठे हुए रिश्तों को
हंसना, मनान बाकी है जिंदगी,
जिंदगी में मिले कछेक
जख्मों के निशान को मिटाना है,
जरा धीरे धीरे चल ए मेरी जिंदगी,
क्योंकि कुछेक काम भी
अभी बाकी है जिंदगी,
जरा धीरे धीरे चल ए मेरी जिंदगी,
क्योंकि कुछेक प्यार, मुहब्बत पलों को
किसी के साथ बिताना बाकी है,
जरा धीरे धीरे चल ए मेरी जिंदगी,
क्योंकि शमशान तक जाकर किसी को
अलविदा कहना है ए मुझे ए मेरी जिंदगी
----धर्मनाथ चौबे मधुकर