बढ़ती ही जा रही है
बढ़ती ही जा रही है इस दिल की बेकरारी
आई नहीं, अभी तक, कोई, खबर तुम्हारी
यूं, इन्तजार, कितना, कब तक हम करेंगे
पल-पल की ये जुदाई, कब तक हम सहेंगे
कह, रही हैं, तुम से, ये खामोशियों हमारी
आई, नहीं अभी तक, कोई, खबर तुम्हारी
बेचैन, हूं मैं, कबसे ये, मुझ को पता नहीं
जो, भी, हुआ, है, इस, में, मेरी, खता नहीं
लाएगी, र॔ग, क्या-क्या, ये दीवानगी हमारी
आई, नहीं, अभी तक, कोई, खबर तुम्हारी
कैसे, कहूँ मैं जानम, मुझको है प्यार तुमसे
जीना हुआ, है मुशिकल, कैसे बताएं तुम से
खामोश, हो, गई है, ये, कब से जुबां हमारी
आई, नहीं, अभी तक, कोई, खबर तुम्हारी
- लेखराम यादव
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