जब फगवा गाने को दिल मचले
और मन पंछी सा लगे चहकने
जब दिल हौले हौले लगे बहकने
और प्रेम सुगंध की बहे बयार
समझो तब आयो होली त्यौहार ।
जब फगवा गाती हों टोली
और सजनी साजन की हो ली
अखिल सुनाएं सब प्यारी बोली
समझो तब है असली होली |
जब मन अंदर से साफ रहे
और हर चेहरे पर रंग सजे
जब तन बोले मन की बोली
तब है समझो असली होली |
जब गुझिया पर ठंठाई भारी हो
और रंगों की मस्त ख़ुमारी हो
जब गिरते उठतों की हों टोली
समझो तब है असली होली |
जब प्रेम बढ़े और दर्द मिटे
सबरूप खिलें सबरंग मिलें
रंग न जाने जब धर्म न बोली
समझों तब है असली होली।
रंग लगायें, खुशियाँ फैलाएँ