जब फगवा गाने को दिल मचले
और मन पंछी सा लगे चहकने
जब दिल हौले हौले लगे बहकने
और प्रेम सुगंध की बहे बयार
समझो तब आयो होली त्यौहार ।
जब फगवा गाती हों टोली
और सजनी साजन की हो ली
अखिल सुनाएं सब प्यारी बोली
समझो तब है असली होली |
जब मन अंदर से साफ रहे
और हर चेहरे पर रंग सजे
जब तन बोले मन की बोली
तब है समझो असली होली |
जब गुझिया पर ठंठाई भारी हो
और रंगों की मस्त ख़ुमारी हो
जब गिरते उठतों की हों टोली
समझो तब है असली होली |
जब प्रेम बढ़े और दर्द मिटे
सबरूप खिलें सबरंग मिलें
रंग न जाने जब धर्म न बोली
समझों तब है असली होली।
रंग लगायें, खुशियाँ फैलाएँ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




