जी जान से जुटा हूँ पूरे करने कुछ ख़्वाब,
मैं और मेरे बीच लगा रखा है मैंने हिजाब।
जब भी बैठता हूँ गिनने टूटे ख्वाहिशों को,
कभी ठीक नहीं बैठा मेरा अपना हिसाब।
संघर्ष के अंधेरे में जुगनू सा टिमटिमा रहा,
कामयाबी के बाद देखेगी दुनिया मेरा ताब।
बड़े सलीके से सजा कर रखे हैं मैंने एकैक,
ज़िंदगी के जंग में लड़कर जीते सारे खिताब।
🖊️सुभाष कुमार यादव