जख़्मी दिल हैं सब इश्क़ की बात पर वाह करते हैं,
सुनकर दर्देदिल की ग़ज़लें सब के सब आह करते हैं।
अगर लिख दो मुहब्बत के अफ़साने पढ़ेंगे सुकून से,
यहाँ कौन किसी के दर्द-ओ-ग़म की परवाह करते हैं।
अच्छा हुआ मिले कुछ साथी लिखन्तु के इस मंच में,
जो हमारी तरह ही हमारी रचनाओं की चाह करते हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव