बस जरा सी बात पे रूठ जाती है अकसर
उनके होंठो की हंसी टूट जाती है अकसर
कोई तस्वीर खुली धूप बारिश में रहेगी तो
जरा सी ठेस लगने से टूट जाती है अकसर
दिल अगर क़हना नहीं मानता है जहन का
तो पसीने की कमाई लूट जाती है अकसर
दास हमको बेवफाई का तो गम कुछ नहीं
कभी ऐसे ही ये जान सूख जाती है अकसर
चलो ये जाम फिरसे दोस्ती के नाम हो जाये
किसे को ढूंढती नजरें दूर जाती हैं अकसर II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




