"ग़ज़ल"
धड़कनों से बाक़ी है जीने का भरम!
शुक्र है ख़ुदा का दुनिया वालों का करम!!
ऐसी जगह जहाॅं मुझे ख़ुद अपनी ख़बर नहीं!
ढूॅंढूॅंगा मैं तुझे भला कैसे ऐ सनम??
ऐ चश्म-ए-तर तबस्सुम सजा लो लबों पर!
ग़म की उम्र है लम्बी ख़ुशी की हयात कम!!
वही ज़ात-ए-पाक हर जगह जल्वा-नुमा है!
का'बा हो चाहे वो चाहे वो हो हरम!!
तेरी दीद की तमन्ना मुझे मूसा से कम नहीं!
अब चाहे गिर पड़ें ग़श खा के हम!!
तेरी हमदर्दी को उस ने मोहब्बत समझ लिया!
'परवेज़' है नादान बड़ा ही ख़ुश-फ़हम!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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