ये शहर है, वेदनाओं का शहर..
पग–पग पर, आग़ाहों का शहर..।
बंद आंखों में भी है, रोशनियां..
हर किसी पर निगाहों का शहर..।
इन खिलते हुए चेहरों का सच देखिए..
अनसुनी सी, अनगिनित आहों का शहर..।
यहां बहुत बड़ी है, फेहरिस्त गुनहगारों की..
और जो दर्ज़ न हुए, उन गुनाहों का शहर..
यहां ज़िंदगी का तो, कुछ मोल नहीं मगर..
सोने–चांदी के रोज़ बढ़ते भावों का शहर..।
जाने किस तरह की, फ़ितरत है इसकी भी..
रातों–रात फ़कीर से बने, बादशाहों का शहर..।
इन्सान तो जाने, किस गली में रहते है यहां..
हमें तो लगा ये बस, अंजान राहों का शहर..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







