निगाहों की लिखावट समझते-समझते हारे।
बस टकटकी भर के देखते रहे पेड़ के सहारे।।
चले आते दिल जलाने बेवजह उनके ख्याल।
कहने में परहेज दिखते रोज गली के किनारे।।
खुदी में कई बार झूमकर भरमाया करते हम।
अहद-ए-जवानी में इठलाते हुस्न लगते प्यारे।।
भूख मिटाने की ज़ुर्रत में भूख और बढ़ा बैठे।
जुल्म करता ज़माना तरीके मिलते नही न्यारे।।
गुरूर दुनिया से रख 'उपदेश' ने क्या बिगाड़ा।
दहलीज से झाँक लेने भर से खुलते कहाँ द्वारे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




