कभी काठ की तो कभी कागज़ की कश्ती है,
ये ज़िंदगी हर बस्ती में बसती है।
हर किसी के बस की बात नहीं इसके संग चलना,
जो चल ले साथ इसके बस उसी की हस्ती है।
ये ज़िंदगी हर बस्ती.........✍
कभी मासूम तो कभी बड़ी दर्दनाक होती है,
ये ज़िंदगी गमों का सैलाब होती है।
कोई जी नहीं पाता इसे इतनी आसानी से,
जिसने जी लिया इसे उसकी इस दुनियां में
जन्मों जन्म बड़ी पहचान होती है।
ये ज़िंदगी गमों का...........✍
कभी विषपान तो कभी अमृतपान कराती है,
ये ज़िंदगी सभी को हर तरह के दिन दिखाती है।
हर कोई पी नहीं पाता इसके पिलाए ज़हर के घूंट,
जिसने पी लिया उसे ये ज़िंदगी नामचीन बनाती है।
ये ज़िंदगी सभी को हर तरह..........✍
~💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐