मयकशीं का शौक जब हद से गुजर गया
हम रह गए अकेले ये जमाना गुजर गया
जब से उसने प्यार में छोङा है
मेरा साथ
मेरे सामने ही उनका ये कारवां गुजर गया
अब होश है किसे इन बर्बादियों
के साथ
वो पूछते हैं अब कहां ये दीवाना किधर गया
जब निगाहें फेर कर साकी ने
रोका हाथ
हम ढ़ूंढ़ते ही रह गए ये पैमाना
किधर गया
अब बेखुदी में इतना मुझे होश
है कहां
मै पूछता ही रह गया मयखाना किधर गया
मुझ को नशे देखके सब हैरान
हैं यादव
उन की तलाश में अब जमाना
गुजर गया
----© लेखराम यादव
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