कापीराइट गीत- ख्वाब उनका आ गया
नींद में कल रात मुझको
ख्वाब उन का आ गया
लगने कुछ ऐसा लगा
मीत मन का आ गया
यूं हर तरफ होने लगी
प्यार की बरसात जैसे
खिल रहे थे चांद तारे
और अन्धेरी रात जैसे
हो गया मौसम जवां
खिल गई दिल की कली
प्यार से महकी हुई थी
प्यार की हर इक गली
यूं प्यार की खुशबू से वो
आज फिर महका गया
लगने कुछ.................
फिर कली इक रात की
अब बन गई दुल्हन नई
प्यार से देखा जो उसको
वो बन गई उलझन नई
फिर ना पूछो हाल मेरा
क्या हुआ उस रात में
खो गई खुशियां सभी
जो मिली थी रात में
करके एक मजाक वो
आज फिर बहका गया
लगने कुछ................
मैं सोचता हूं रात दिन
कब मिलन होगा हमारा
सामने जब आएंगे वो
हाल क्या होगा हमारा
कह रही हैं सांस मेरी
हम मिलेंगे एक दिन
प्यार से गलियां सजेंगी
यूं एक होंगे रात दिन
प्यार की मीठी झलक
आज फिर दिखला गया
लगने कुछ.................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है