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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये जो फ़िक्र है

ये जो फ़िक्र है उनको मेरी,
ये हक़ीक़त है या महज़ दिखावा है।
जितनी फ़िक्र है उन्हें मुझ अजनबी की,
उतनी तो कोई किसी अपने की भी नहीं करता है।

बार - बार मुझसे मेरी ख़ैरियत पूछते हैं,
क्या इतना लगाव इन्हें मुझसे हो गया है।
समेटते रहते हैं मुझसे जुड़े हर वाक़िआ को,
क्या इतना प्यार इन्हें मुझसे हो गया है।

कभी परिंदों के बीच में,
तो कभी पलाश के दरख़्तो पर ढूॅंढते हैं।
वो मुझे अपनी कलम से,
कागज़ पर लिखते और उकेरते हैं।

गुनगुनाते रहते हैं ग़ज़ल बना मुझे,
और मुझ पर कही अपनी ही ग़ज़ल पर
आफ़रीन कहते हैं।
झरोखे में बैठ दूर पहाड़ों पर,
तसव्वुर में खुद को मेरे साथ देखते हैं।

~रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Shiv Charan Dass said

गन गुनाते रहते हैं गज़ल बना मुझे! रीना जी कमाल

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी 🙏

श्रेयसी said

वाह कल्पना है या हक़ीक़त 😊😊

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji thanku didu raani

Supriya sahu said

वाह... बहुत ही खूबसूरत और लाज़वाब रचना मैम 👌😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thank you ji

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत और दिल के करीब रचना, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

लाज़वाब रचना लिखी रीनाजी, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Dhanyawad apka 😊🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत बढ़िया जी, वाह!

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

बहुत खूब रीना जी

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी 🙏

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