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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पाँच साल का वक़्त

पाँच साल का वक़्त
पाँच साल बीतने को हैं इस शहर में
न पूछना वक़्त कैसा बीता,कैसा निकला
नए लोग,नया रहन-सहन तो मिला
पर न हम किसी को अपना पाए,न कोई हमें
और जो अपने थे,वो भी आज अपने नहीं रहे..

माना कि इस शहर के लोगों से अपनी दोस्ती नहीं हुई
मगर यहाँ के पेड़-पौधों से
बहती हवा से
महकती मिट्टी से
यहाँ के पक्षियों से अपना याराना सच्चा और अच्छा रहा ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

फ़िज़ा said

Sundar abhivyakti

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am😊

Kapil Kumar said

Bilkul sahi kha...naye sahar m adjust Krna aasan nahi hota. Pr kabhi woqt kabhi log kabhi majburiya sikha hi deti ha.

वन्दना सूद replied

सही कहा आपने sir😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम 🙏🙏 वंदना Mam, आपने अपनी एक नयी विशिष्ट शैली विकसित कर ली है, [हाँ में इसे यूनिक शैली ही कहूंगा], प्रकृति के साथ साथ अन्य सामाजिक पारस्परिक विचारों को मिलकर आप जो रचनाये प्रस्तुत कर रही हैं अन्य रचनाओं से भिन्न है, आपका मैत्रीपूर्ण सन्देश एवं व्यवहार इतनी आसानी से प्रकृति के करीब खींच लेजाता है की हर रोज सोचता हूँ आज एक "पीपल का पेड़" लगाऊंगा और अंत में थक कर sojata हूँ पर आज जरूर लगाऊंगा

वन्दना सूद replied

प्रणाम भाई जी ,आज तो पौधा लगा ही आओ और हाँ बताना ज़रूर

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