(बाल कविता)
क्यारी सा स्कूल
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क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।
नन्हे-मुन्ने बच्चे हम हैं इस बगिया के फूल ।।
कॉपी और किताबें लेकर आते घर से हम
स्वागत करता विद्यालय भी मुस्काता हरदम
ज्ञान और विज्ञान सिखाते शिक्षक सब अनुकूल।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
विद्या की देवी का मंदिर है विद्यालय मेरा
सर्व धर्म की शिक्षा देता ना मेरा ना तेरा
हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई सब हैं इसके मूल ।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
पावन परिसर में रहने से हो जाता कल्याण
पाकर आशीर्वाद यहाँ से जड़मति हुए सुजान
राजा रंक सभी को करता अपने यहाँ कुबूल ।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे जैसा विद्यालय प्यारा
विद्या की किरणों को देकर जीवन सदा संवारा
नई ऊँचाई उनको भी दी जो थे मिट्टी-धूल ।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
उच्च विचारों को अपना कर चलता है विद्यालय
इसीलिए हरदम कहलाता शिक्षा का ये आलाय
भ्रम को दूर भगाता, बातें करता नहीं फ़िज़ूल ।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
भीनी-भीनी खुशबू लेकर आती हवा सुहानी
खेल-खेल में बच्चे करते कभी-कभी मनमानी
पढ़ने-लिखने में हर कोई रहता है मशगूल ।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
सुबह प्रार्थना से हो जाती दिन की जब शुरुआत
विद्या की देवी से मिलती विद्या की सौगात
सही-सही हर काम निपटता बिन गलती बिन भूल।
क्यारी सा स्कूल हमारा क्यारी सा स्कूल ।।
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~राम नरेश उज्ज्वल