Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

प्रकृति

मैं हूँ वह ममता, जो जीवन को जन्म देती,
पर तुमने मेरी बाहों को जला दिया, तोड़ा दिया।
मेरे पेड़ों की हर पत्ती अब मुरझा-सी गई,
मेरी नदियाँ थमीं हैं, मुझमें ग़म की गूँज है।

मैं चिल्ला रही हूँ, सुनो मेरी कराह,
तुम्हारी हसरतों ने मुझको बनाया वीरान।
मिट्टी की खुशबू, हवा की ठंडी छाँव,
क्या तुम्हें याद है, ये सब था तुम्हारा सान्निध्य?

मैंने तुम्हें दिया फल, ताज़ी हवा का तोहफा,
पर बदले में दिया केवल दर्द का सिला।
इंसान, लौट आओ, सुधर जाओ, संभल जाओ,
मुझसे जुड़कर फिर से जीवन जगाओ।

वरना देखना, मैं भी थम जाऊँगी,
तुम्हारी हसरतें, सपने सब धुंधल जाएंगे।
मैं हूँ तुम्हारी माँ, तेरा सहारा, तेरा आसरा,
मेरी पुकार सुनो, वरना सब कुछ होगा हारा।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 मैं हूँ वह ममता      जो जीवन को जन्म देती      पर तुमने मेरी बाहों को जला दिया      तोड़ा दिया। मेरे पेड़ों की हर पत्ती अब मुरझा-सी गई      मेरी नदियाँ थमीं हैं      मुझमें ग़म की गूँज है। मैं चिल्ला रही हूँ      सुनो मेरी कराह      तुम्हारी हसरतों ने मुझको बनाया वीरान। मिट्टी की खुशबू      हवा की ठंडी छाँव      क्या तुम्हें याद है      ये सब था तुम्हारा सान्निध्य? मैंने तुम्हें दिया फल      ताज़ी हवा का तोहफा      पर बदले में दिया केवल दर्द का सिला। इंसान      लौट आओ      सुधर जाओ      संभल जाओ      मुझसे जुड़कर फिर से जीवन जगाओ। वरना देखना      मैं भी थम जाऊँगी      तुम्हारी हसरतें      सपने सब धुंधल जाएंगे। मैं हूँ तुम्हारी माँ      तेरा सहारा      तेरा आसरा      मेरी पुकार सुनो      वरना सब कुछ होगा हारा 


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह ! अशोक जी, प्रकृति का सुंदर मानवीकरण। प्रकृति के द्वारा मानववृंद को भावी समझाइश और चेतावनी। शब्द विन्यास अति सुंदर। निर्बाध रूप से प्रकृति का दोहन मानव जीवन के विनाश का कारण ही बन जाएगा। इन्हीं तथ्यों से आगाह करती खूबसूरत रचना। वरना देखना,मैं थम जाऊंगी। सुंदर पंक्ति। नमस्कार! चेतावनी,

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार इतनी सुन्दर एवं मनमोहक समीक्षा के लिए 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। प्रकृति की पीड़ा का मार्मिक चित्रण। आधुनिक सभ्यता के सभ्य मनुष्यों ने प्रकृति को जो अपूर्णीय क्षति पहुंचाई है, निश्चय ही वह विचारणीय है। हमने प्रकृति का हाथ न थामा तो प्रकृति निश्चित हमारा साथ छोड़ देगी। 👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार इतनी सुन्दर एवं मनमोहक समीक्षा के लिए 🙏🙏

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर और सन्देश देती हुई आपकी खूबसूरत लेखनी 👌👌👏👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका तहे-दिल से आभार, आदरणीय मैम, आपको सादर नमस्कार।

Vadigi.aruna said

बहुत खूब👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

🙏🙏

श्रेयसी said

बहुत खूबसूरत लहजे में बहुत अच्छी प्रेरणा। काश हमलोग थमने से बचा पाते। सादर प्रणाम 🙏🙏 अशोक जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार इतनी सुन्दर एवं मनमोहक समीक्षा के लिए 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

बहुत सुन्दर... चेतावनी इंसान के लिए ...प्रकृति का सजीव मानवीय सुन्दर चित्रण भी ...बहुत खूब

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका हार्दिक आभार एवं सादर नमस्कार इतनी सुन्दर एवं मनमोहक समीक्षा के लिए 🙏🙏

अमित श्रीवास्तव said

uttam bhav

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय अमित जी का हृदय से आभार आपकी प्रतिक्रिया वाकई मुझे प्रेरित करती है एवं ज्यादा बेहतर लिखने के लिए लालायित आपका पुनः आभार

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन