मैं हूँ वह ममता, जो जीवन को जन्म देती,
पर तुमने मेरी बाहों को जला दिया, तोड़ा दिया।
मेरे पेड़ों की हर पत्ती अब मुरझा-सी गई,
मेरी नदियाँ थमीं हैं, मुझमें ग़म की गूँज है।
मैं चिल्ला रही हूँ, सुनो मेरी कराह,
तुम्हारी हसरतों ने मुझको बनाया वीरान।
मिट्टी की खुशबू, हवा की ठंडी छाँव,
क्या तुम्हें याद है, ये सब था तुम्हारा सान्निध्य?
मैंने तुम्हें दिया फल, ताज़ी हवा का तोहफा,
पर बदले में दिया केवल दर्द का सिला।
इंसान, लौट आओ, सुधर जाओ, संभल जाओ,
मुझसे जुड़कर फिर से जीवन जगाओ।
वरना देखना, मैं भी थम जाऊँगी,
तुम्हारी हसरतें, सपने सब धुंधल जाएंगे।
मैं हूँ तुम्हारी माँ, तेरा सहारा, तेरा आसरा,
मेरी पुकार सुनो, वरना सब कुछ होगा हारा।