घोटाले की गली"
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन"विख्यात"
नोटों की गड्डी, सपनों का महल,
घोटाले की गली में, हर कोई बहल।
झूठ का पर्दा, सच का दमन,
देश की तिजोरी, इनका रमन।
कुर्सी की ताकत, कानून की ढील,
घपलेबाजों का, अटूट खेल।
जनता की आहें, सिस्टम लाचार,
भ्रष्टाचार का, गहरा प्रहार।
सफेदपोश चेहरे, काली करतूतें,
देश को बेचकर, भरते अपनी पूँजी।
न्याय की देवी, आँखें मूंदे खड़ी,
घोटालेबाजों की, बढ़ती अकड़ी।
मीडिया का शोर, कुछ दिन का तमाशा,
फिर से वही खेल, वही निराशा।
उम्मीद की किरण, धुँधली सी दिखती,
घोटालेबाजों की, चालें फिर से बिकतीं।
कब तक चलेगा, ये खेल निराला,
देश की जनता, कब तक संभालेगी घाटा।
जाग जाओ अब, ओ देशवासियों,
घोटालेबाजों को, दो मुँह तोड़ जवाब।