जिस जगह मिलते थे रोज़ाना तुम उन्हें
वो वहीं तिरछी नज़रें गड़ाए आ रहे थे,
सनम तुम्हारे मिलने को तुम्हें बेताब हुए जा रहे थे।
तुम्हें वहाॅं न पाकर मायूस हो गए वो,
नम आँखों से बस तुम्हीं को ढूॅंढे जा रहे थे।
इश्क़ कोई खेल नहीं ये आज जाना उन्होंने,
जब मिलने आये थे तुम्हें पर मिलकर
तुम्हारे भाई से आ रहे थे।
बाल - बाल बचे आज तो
ये सोच खुदा का शुक्रिया कर रहे थे,
अब कभी मिलने आयेंगे नहीं तुमसे
ये वादा बार - बार खुदा से किए जा रहे थे।
---रीना कुमारी प्रजापत 🖊️🖊️