अजीब लोग हैं,
मुझे मेरे ही अतीत का ब्यौरा दे रहे हैं!
जैसे मेरी ज़िंदगी का ठेका इन्हीं को मिला हो,
और मेरी भूलों का हिसाब रखने की ठान ली हो!
भाईसाहब!
तुम्हें कौन-सी सरकारी नौकरी मिली है?
“पुराने घाव कुरेदो विभाग” में भर्ती हो गए क्या?
या फिर तुम्हारा करियर ही मेरा अतीत है,
जिसके बिना तुम्हारी रोज़ी-रोटी अटक जाएगी?
मुझे तो लगा था,
समय के साथ लोग आगे बढ़ते हैं,
पर ये क्या!
तुम तो वहीं रुके हो,
जहाँ मैंने गिरकर खुद को संभाला था!
तुम कहते हो, “याद है, तूने वो किया था?”
अरे भाई! तुम ही याद रखो,
मुझे तो भूलने की आदत है!
मैंने तो अपनी गलतियों से कुछ सीखा,
तुम बस मज़ाक उड़ाते रहे!
वैसे एक बात बताओ,
तुम्हें मेरी गलती में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
कोई खाली पद मिला नहीं क्या,
या फिर खुद की गलतियाँ इतनी भारी हैं
कि किसी और की तलाश में लगे हो?
खैर, तुम लगे रहो,
ताने मारने, खिल्ली उड़ाने में,
मैं तो अपने सपनों की उड़ान में हूँ,
तुम बस नीचे से ताली बजाते रहना!
भई, ये तुम्हारा जुनून देखकर तो डर लगने लगा!
इतनी मेहनत अगर अपने भविष्य पर करते,
तो आज मेरे अतीत में ना जी रहे होते!
अरे भाई, मेरी ग़लतियों का इतना स्टॉक कहाँ से लाए?
या फिर कोई “अतीत की खुदाई योजना” चला रखी है?
खबरदार! अगर कभी भूल से भी आगे बढ़ गए,
हमेशा बीते कल में ही गोते लगाना!
तुम्हारी बातें सुन-सुनकर अब शक होने लगा है,
कहीं मेरी पुरानी ग़लतियाँ तुम्हारी कमाई का ज़रिया तो नहीं?
क्या करूं, कहीं तुम्हारी रोज़ी-रोटी न छिन जाए,
चलो, एक नई गलती कर देता हूँ,
ताकि तुम्हारा धंधा चलता रहे!
पर एक दिन जब मैं अपनी ऊँचाइयों पर खड़ा होऊँगा,
तब तुम नीचे से चिल्लाओगे—
“याद है, तू एक ज़माने में गिरा था?”
और मैं हँसकर कहूँगा—
“हाँ भाई, गिरा था, पर फिर उड़ भी तो गया!”
तुम्हें मेरा अतीत मुबारक,
मैं तो भविष्य की उड़ान में हूँ,
कभी फुरसत मिले तो आ जाना,
वहाँ ताने नहीं, तालियाँ बजती हैं!

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




