आज के ज़माने का भला यह कैसा रंग है
आदमी के एक हाथ शीशा दूसरे में संग है
अपना कुछ भला हो या ना हो मतलब नहीँ
आज सिर्फ मकसद किसी का रंग में भंग है
सारी दुनियां लड़ रहीं है दौलत के ही वास्ते
अब सुलह का का रास्ता बहुत बड़ी जंग है
चेहरे पे चिकनी मुस्कानें ओढ़े लोग मिलेंगे
दरअसल यह आजकल तिजारत का ढंग है
दास दिल दिनोदिन नाजुक होता जा रहा है
हर किसी का आजकल अब नजरिया तंग है II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




