कवि की कविता चोरी(हास्य व्यंग)
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
कविता के चोरी हो जाने पर, रिपोर्ट लिखाई गई।
सरकारी जांच पर था एक व्यंग,
सारी की सारी कहानी लुटिया में समाय रही।
थानेदार यूं बोला, विस्तार से बताइए
कहां से चोरी हुई, पता लिखवाइए।
कैसी दिखती है, हुलिया भी बताइए।
किसी के साथ, चक्कर तो नहीं।
साथ साथ , हो गए हो दोनों रफूचक्कर।
जरा उन दोनों के, ताजे फोटो भी भिजवाइए।
घसीटाराम घसीटते हुए बोला, हुजूर हमको भी तो मौका बोलने का दीजिए।
आप समझ रहे क्या, पहले यह तो बता दीजिए।
लिखता हूं जो मैं कविता, वह गुम हुई है।
नारी नहीं।
थानेदार ने जोर का ठहाका लगाया, हम लिखते हैं रिपोर्ट नर और नारी की।
ना कि साहित्यिक चोरी की।