अभिव्यंजना है मुझमें पर अभिव्यक्तना नहीं
तब निश्छला रह पाऊंगी मैं
नहीं कदापि नहीं
बार बार सैकड़ों बार बस छली जाऊंगी मैं
अभिव्यक्तियां शब्द है
शब्द समूह का गहरा सागर जो हिलोर करता मन में
पर ना जाने जिह्वा पर आते ही विस्मृत हो जाता हैं
शायद अभिव्यंजना है मुझमें
पर अभिव्यक्तना नहीं
✍️#अर्पिता पांडेय