काफी वक्त जिंदगी की,बिता दी
उन्हें याद कर करके
धीरे-धीरे खुद को ही,मिटा दी
उन्हें याद कर करके
वो, वहां रस्में, खूब निभा रही होगी
हमने सारी रस्मों को, आग लगा दी
उन्हें याद कर करके
कभी उनकी बाहों में, आशियाना था हमारा
अपनी आशियाने से,सारी यादें हटा दी
उन्हें याद कर करके
भाती नहीं है,अब हमें, खुशबू गुलाब की
पर, बुझती नहीं है, शम्मा,जो इश्क ने जला दी
उन्हें याद कर करके
कभी न देखना हमारी ओर,ऐ इश्क वालों
इश्क ने हमारी हालत, क्या से क्या बना दी
उन्हें याद कर करके।
सर्वाधिकार अधीन है