कापीराइट
न जाने क्यूं उनसे ये दिल लगा बैठे
बसा के उसे दिल में खुदा बना बैठे
पहली बार उन्हें जब यूं देखा हमने
उसकी सूरत को दिल में बसा बैठे
झांका जब उस ने, यूं रुखसारों से
वो तस्वीर अपने दिल में सजा बैठे
उन से आंखें मेरी जब दो चार हुई
उन्हें देख के हम दुनियां भुला बैठे
वो तमन्ना है मेरी वो आरजू है मेरी
इसी चाह में हम खुदको भुला बैठे
जब होती है आहट उनके आने की
हर गली में यह दिल हम बिछा बैठे
डर है कहीं वो न छोङ जाए मुझे
वो किसी और को, खुदा बना बैठे
चल रही हैं यहां प्यार की आंधियां
वो यादव कहीं अपना तुझे बना बैठे
लेखराम यादव
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