मेरे पास कुछ गुब्बारे हैं,
हरे - नीले - पीले,
लाल - गुलाबी - सतरंगी,
मैं तुमको दे सकता हूँ,
हँस के ज़रा दिखाओ तो
थोड़ा मुस्कुराओ तो,
अरे नहीं ये उड़ते हैं,
जब मैं इन्हे तुम्हे दूंगा,
तुम अपने छोटे से मुख से,
या हवा बनाने वाले यन्त्र से,
या अपने मम्मी - पापा,
भाई - बहिन - सखाओं से,
इनमे हवा भरवाना,
फिर इनको आसमान में उड़ाना,
जब ऊपर को उड़ने लगे,
तो रोना मत,
ताली बजाकर मुस्कुराना,
क्युकी मेरे पास,
और भी गुब्बारे हैं,
हवा भरे गुब्बारे,
बिना हवा के गुब्बारे,
मैं वो सब तुमको,
दे सकता हूँ,
मुझे मुस्कुरा के दिखाओ,
गुब्बारों को उड़ा कर दिखाओ,
उनके उड़ जाने पर,
ताली बजाकर,
फिर मुस्कुराओ,
उनसे उड़ना सीखो,
ऊपर उठना सीखो,
अब सीख भी जाओ,
चलो सारे गुब्बारे ले जाओ।
----अशोक कुमार पचौरी
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