हम तो जाते हैं मगर वो बुलाते नहीं कभी
हम तो बुलाते हैं मगर वो आते नहीं कभी
इस दिल का क्या करें जो मानता नहीं है
रिश्तों को यूं मरोड़ना हम जाने नहीं कभी
उनके तो इर्दगिर्द अब है भीड़ का समंदर
हमको हमारे यार ही पहचाने नहीं कभी
ये खौफ का है मंजर फैला हुआ फिजा में
इस त्रासदी से लोग थे अनजाने नहीं कभी
चाहे हमारी जान लेलो सरे बाजार है मंजूर
दास पर ईमान पे शक हम लाते नहीं कभी।