सरिता सागर से बहती कविता,
काश कोई इन्हें ह्रदय से सुनता।
काश कोई इन्हें ह्रदय से पढ़ता।
कविताओं में प्रीतम का डेरा,
पास नहीं अभी प्रियतम मेरा।
उनसे मिलन की लगी है आस,
जिंदा हूँ पर नहीं है सांस।
कोई पिया को मेरी कविताओं का दे दो संदेश,
लौट आएँ वो अपने देश।
पिया से मिलन की लगी है आस,
पिया बिन मेरा जिया उदास।
सरिता सागर से बहती कविता,
काश कोई इन्हें ह्रदय से सुनता।
काश कोई इन्हें ह्रदय से पढ़ता।
सरिता पाठक