पत्नी जी..पत्नी जी,
ना जीना करो मेरा मुश्किल जी !!
चौकी बर्तन बस यही काम है,
दो पल का भी ना आराम है !!
सोचता हूँ क्यों शादी किया मैं,
सोचता हूँ किस पचड़े पड़ा मैं !!
पत्नी जी..पत्नी जी,
थोड़ी आसां करो मेरी मुश्किल जी !
मालिश-वालिश अब ना होगा,
करवा चौथ ना मुझसे होगा !!
कितना दिखावा करूँ मैं आख़िर,
कितना अपना सर फोड़ूँ मैं !!
पत्नी जी..पत्नी जी,
ज़रा कुछ तो डरो मेरी पत्नी जी !!
अब ना लिखूँगा हास्य कविता,
ना ही अब कोई प्रेम कवि मैं !!
अमर उजाला से छूटा जो,
आके लिखन्तु में अटका मैं !!
अब यहीं मेरा जीवन-यापन,
यहीं लिखा अब हुक्का-पानी !!
अब किरपा कर दो बस इतनी,
देखने दो पिक्चर है जितनी !!
सात जनम में समझके आख़िरी,
माफ करो मुझे सजनी जी !!
पत्नी जी..पत्नी जी,
माफ करो मेरी पत्नी जी !!
लोब-लोब में बोल गया ग़र,
माफ करो हर गलती जी !!
अभी मैं आया..आया जी,
बस अभी आया..आया जी !!
😍 वेदव्यास मिश्र की टूटी कलम से..😍
सर्वाधिकार अधीन है