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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये दिल

कभी पत्थर रहता है, कभी शीशा रहता है
कभी ठोकर सहता है, कभी टूटता रहता है

कभी कोमल सुकोमल,मोम सा रहता है
जरा सी धूप में, पिघलता रहता है

कभी दीवाना होता है, कभी मस्ताना होता है
कभी ईर्ष्यालु होता है, और जलता रहता है

घोर ईरादे, कसमें वादे, मौसम के साथ साथ
दिल है,न जाने, कितने रंग, बदलते रहता है।


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

वन्दना सूद said

बहुत खूब 👏👏👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

धन्यवाद वंदना जी

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना आपको सादर नमस्कार

Updesh Kumar Shakyawar said

दिल है,न जाने, कितने रंग, बदलते रहता है।...बहुत खूब

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

लेखराम जी, उपदेश जी, तहेदिल से शुक्रिया। सादर नमस्कार!!

Supriya sahu said

लाज़वाब रचना सर जी 👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सुप्रिया जी, वंदना जी, हृदय से धन्यवाद

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