कभी पत्थर रहता है, कभी शीशा रहता है
कभी ठोकर सहता है, कभी टूटता रहता है
कभी कोमल सुकोमल,मोम सा रहता है
जरा सी धूप में, पिघलता रहता है
कभी दीवाना होता है, कभी मस्ताना होता है
कभी ईर्ष्यालु होता है, और जलता रहता है
घोर ईरादे, कसमें वादे, मौसम के साथ साथ
दिल है,न जाने, कितने रंग, बदलते रहता है।
सर्वाधिकार अधीन है