जब तक जी रहे हो मन अपना सच्चा करो
अपने जीवन में काम कुछ अच्छा करो
जब एक दिन सांस अपनी जाएगी
ये शरीर फिर कहां रह पाएगी ?
न धड़कती धड़कन होगी न सांस होगी
संपूर्ण शरीर एक मृत लाश होगी
तब पार्थिव शरीर को
सभी लोग श्मशान घाट पहुंचाएंगे
वहां जा कर फिर या जलाएंगे
या फिर दफनाएंगे
थोड़ी देर अपने बच्चे और रिश्तेदार
दो बूंद आंसू बहाएंगे
फिर बाद में सभी लोग
अपने अपने घर जाएंगे
फिर बाद में सभी लोग
अपने अपने घर जाएंगे.......
मृत्यु कब आता कैसे आता
आदमी कभी भी नहीं देखता है
वास्तव में जा कर यही एक वास्तविकता है
वास्तव में जा कर यही एक वास्तविकता है.......
----नेत्र प्रसाद गौतम