जैसे हमने तुमसे से वैर कर लिया
गेंहू अगर पानी से वैर कर ले
मिट्टी अगर धूप से
पेड़ अगर फूल से वैर कर ले
शाम अंधकार से
ऊष्मा आग से वैर कर के
पानी शीतलता से
बुद्धि अगर ज्ञान से वैर कर ले
और हृदय कोमलता से
तो..............!
कुछ नही कर सकते ये सब
इनके अस्तित्व का मूल है बंधन।
----अम्बिकेश मिश्र