ज़िन्दगी इतनी भी बेरहम नहीं थी
जितना हमने जताया
बेशक समुन्दर जैसे तूफ़ान हमने भी झेले
तेज हवाओं के झोंको से हम भी लड़खड़ाए
धूल भरी आँधियों से हम भी मलिन हुए
बारिशों से बने गड्ढों में हम भी गिरे
सूरज की तपश जैसी ज्वाला में हम भी जले
फिर भी जुनून था जीतने का
हौसला था कुछ कर दिखाने का
आत्मविश्वास था अपने लक्ष्य तक पहुँचने का
जो तूफ़ान,हवाओं,आँधियों,गड्ढों और अग्नि के तपश को शांत करता चला गया
अनजानी शक्ति हमारे बुलन्द इरादों को रास्ता दिखती रही
और लोग हमारे चेहरे की मुस्कान देख सोचते रहे
कि इसे क्या पता दर्द क्या होता है जिसने कभी देखा ही नहीं ..
वन्दना सूद