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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

मेरे शेर भाग -5 -ताज मोहम्मद



किसी ने पूंछा क्या करते हो।
हमने भी कह दिया इश्क करते है।।

उसने कहा इसमें क्या मिलता है।
हमने कहा दर्द ओ सितम सहते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

2.

आह भीं ना निकली शोर मच गया।
यूं देखो वह दिल का चोर बन गया।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

3.

ज़ालिम जख्म देकर हंस रहा है।
वह खुद को खुदा समझ रहा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

4.

तुम हाल ए जिन्दगी पर हमारे हंस रहें हो।
उम्मीद ए वफ़ा थी जो छोड़कर जा रहें हो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

5.

अभी तो गया था अस्पताल से फिर आ गया हूं।
क्या बताऊं हाल ए जिंदगी जीकर पछता रहा हूं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

6.

सदा तो सुनी थी हमनें ध्यान ना दिया था।
हमको माफ करना जो सुनकर अनसुना कर दिया था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

7.

तुम जिन्दगी जीते हो बस अपने वास्ते।
इसीलिए अलग हो गए है ये अपने रास्ते।।

हाल ए इश्क इक तरफा क्या पूछते हो।
पूछो उससे बरबाद हुए है जिसके वास्ते।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

8.

तुम जो मिल गई हो तमन्ना ना कोई बची है।
वरना अब तक तो जिन्दगी सजा में कटी है।।

परिंदों सा मैं भटकता रहता था इस जहाँ में।
अब समझ में आया तुम्हारी ही कमी रही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

9.

इश्क था मेरा कोई सामान ना था।
जो तुमने कुछ पैसों में इसका सौदा कर लिया।।

अपना खुदा माना था मैंने तुमको।
इतने बड़े अकीदे पर भी तुमने धोखा दे दिया।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

10.

दूरियां थी जो बाप बेटे के दरम्या।
उन सभी को मिटाने को घर में पोता हो गया।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

11.

क्या कहते हो हमसे तुमको मुहब्बत नहीं।
झूठ बोलते हो कि बंद आंखों में मेरी सूरत नहीं।।

खूब जानता हूं मैं तुम्हारी शैतानियों को।
हमारे अलावा तुम्हें किसी की भी जरूरत नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

12.

यूं रूबरू आओगे तो अश्क छलक जायेंगे।
डरते है मिलने से हम फिरसे बहक जायेंगें।।

बड़े मुश्किल से संभाला है मैने यूं दिल को।
शांत पड़े दिल ए शोले फिरसे दहक जायेंगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

14.

सुना है फूलों का नया शौक पाला है तुमने।
बनकर गजरा तेरी जुल्फों में महक जायेंगें।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

15.

शोर भी ना हुआ हवा भी ना चली।
फिर मेरे मरने की खबर उस तक कैसे पहुंची।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

16.

सब्र भी ना देता है दुआ भी ना सुनता है।
जाने क्यूं मेरा खुदा मेरे साथ ऐसा करता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

17.

जानें कैसा धोखा है।
ये इश्क मजा है या सजा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

18.

तकल्लुफ में हम कुछ कह भी ना पाए।
वह आए मिले,बात की और चल दिए।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

19.

साथ साथ रहते है।
पर बिना बात किए जीते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

20.

इश्क मिटा दिया है।
पर यादों ने जीने ना दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

21.

सबक तो याद था।
इश्क हुआ दिल बेकरार था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

22.

चलो जन्नत चलते हैं।
पर सुना है हिसाब ए आमाल करते हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

23.

बड़ा रंज आया है हमको अपनी मोहब्बत पर।
जाने से पहले उसने हमको बेवफा जो कह दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

24.

बिखरना संवारना तो है जिंदगी का काम ही।
मिलके बना लेंगे हम फिरसे अपना आशियां।।

तुझे खुदा ने बख्शा है हुनर दिल जीतने का।
फिर से बना लेगा तू अपने सफर का कारवां।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

25.

वापस आजा परिंदे तुझे शाखों का वास्ता।
रास्ता देखती बूढ़ी मां की आंखों का वास्ता।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

26.

कोई रहा ना उसका अब इस बस्ती में।
लौटकर वो आए तो आए किसके वास्ते।।

यूं ना दुत्कारों अनाथ है तो क्या हुआ।
तरस खाओ यातिमों पर खुदा के वास्ते।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

27.

हर मसला हल हो जायेगा परेशां ना होना यूं तुम।
शर्त यह है बस दिनों रात खुदा का नाम लेना तुम।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

28.

हम तुमको ना बदनाम होने देंगे जहां में।
सबको अपनी बुराई का पैगाम दे जायेंगें है।।

हमारे जैसा अकीदा ना करना लोगो पर।
लोग दुनियां में तुम्हें बदनाम कर जायेंगें है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

29.

हमें ना पता था तुम इतना दूर चले जाओगे।
अब देखो तो ये मुस्तकबिल कितना बिगड़ गया है।।

हर शहर हर दर पर हम कब से जा रहे है।
तुम्हारी तलाश ने हमको बिना घर का कर दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

30.


ना तुम मुझे पहचानना ना मैं तुम्हे जानूंगा।
अपनी इश्के दास्तांन गुमनाम कर जाते है।।

हम वैसे ही बदकिस्मत थे इस दुनियां में।
हर इश्क ए गुनाह अपने नाम कर जाते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

31.

शायद कोई किस्सा उठा है गांव के घर में।
और मेरा भी हिस्सा लगा है गांव के घर में।।

मैंने सबकुछ छोड़ दिया था बहुत पहले ही।
बटवारे में जलजला उठा है गांव के घर में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

32.

पुत्री वात्सल्य ह्रदय में खूब होता है।
पिता बेटियों के बड़े करीब होता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

33.

खुशबू चमन की किसको अच्छी नहीं लगती।
आबरू अब किसी में हमें सच्ची नहीं दिखती।।

हया लाज़ भी गहना होता है लड़कियों का।
सयानी हो गईं है बिटिया यूं बच्ची नहीं लगती।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

34.

तमाम उम्र काट दी दीवानों के शहर में हमनें।
मोहब्ब्त की बातें अब हमें अच्छी नहीं लगती।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

35.

इश्क में लुट कर देखो दिवाना बन गया है।
दिल ए शम्मा में जलकर परवाना बन गया है।।

बहुत कम रुबरु होते थे हम यूं अंजानो से।
देखो अपना बना कर वह बेगाना बन गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

36.

सोचते थे हंसी रातें होती है तवायफों की।
पर किस्सा उनका मुझको दहला कर गया है।।

कोई तो गहरी दास्तां है उस नूरे हुस्न की।
अच्छे घराने का था जो रक्काशा बन गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

37.

बड़ा तन्हा हो गया है वो बागवान।
परिंदे सारे उड़ गए रह गया वो बेजान।।

रोपे थे शजर अपने हाथों से कभी।
हो गए सारे के सारे वो उससे अंजान।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

38.

स्वयं हारकर पुत्र को जिताता है।
पुत्र की विजयी मुस्कान से खुश हो जाता है।।

पुत्र सहारा देगा ये सोचकर खुश होता है।
अंत में इक छड़ी के सहारे खुद को चलाता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

39.

थक कर जब चूर हो जाता हूं।
तो पिता का कंधा याद आता है।।

संगति में जब बिगड़ जाता हूं।
तो पिता का सबक याद आता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

40.

आदाब बजा लाता हूं।
जब पापा के पास आता हूं।।

मुस्तकबिल सजा लेता हुं।
जब पापा के साथ जाता हुं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

41.

हमनें अभी बद्दुआ भी ना दी थी।
और तुम्हारा इतना बड़ा नुकसान हो गया है।।

चलो हम गुनाह करने से बच गए।
और बिना कुछ करे हमारा काम हो गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

42.

पीसर हैं कैसे बद्दुआ दे दे वो उनको।
अहद था बीवी से रहेगा वो रहमान।।

आया ना कोई देखने को उसका हाल।
यूं देखो चली गई एक पिता की जान।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

43.

कुछ भी ना हमेशा रहता है।
इन्सान बस अपने हालात को जीता है।।

खुशी हो या गम जिन्दगी में।
कमबख्त यह अश्क नजरों से बहता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

44.

इश्क टूट करके दिल की यादों में रह गया है।
हमारें जिस्मों जां का मालिक हमसे रूठ गया है।।

अब तन्हाई में बैठ कर हम उससे मिलते है।
जिसका दर्द अश्क बन कर नज़रों से बह गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

45.

पंख आने पर उड़ जाते हैं।
यूं परिंदो के बच्चे गैर बन जाते हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

46.

तंजे तीर बड़ा गहरा घाव कर देते हैं।
यूं अपने ही बात-बात पे मार देते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

47.

ऐसे जिन्दा रहने से क्या फायदा।
मर-मर कर टुकड़ों में जिदंगी जी नहीं जाती।।

कोशिश तो तुम करो उठने की।
तन्हा पड़े रहने से किस्मत बदली नहीं जाती।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

48.

आलीशान कमरों में हमें नींद नहीं आती है।
हम गरीब है साहब आदत है फुटपाथ पे सोने की।।

जिदंगी यूं बदलेगी कभी सोचा ही नहीं था।
थककर सोएंगे मुझे ना थी खबर ये सब होने की।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

49.

जमाने की नजर से कभी तुम ना देखना हमको।
जमाना है फरेबी तुम फरेबी ना समझना हमको।।

तुम चाहो तो इश्क में आजमाइश कर लेना मेरी।
मिलेगी हमारे इश्क में सिर्फ‌ॊ सिर्फ वफा तुमको।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

50.

यूं काटोगे दरख़्तों को तो फिजाओं का क्या होगा।
हर साख ही रो रही है अब इन परिंदों का क्या होगा।।

बना करके आज बस्ती फिर तुम इसको उजाड़ोगे।
यहां बसेंगे जो इंसा फिर उन इंसानों का क्या होगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍


51.

यह जिन्दगी है सबकी कहां अच्छी होती है।
किसी की सस्ती किसी की दौलते मुजस्सम सी होती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

52.

जिंदगी हम तुझे क्या कहे।
हरपल तेरा मुश्किल से कटे।।

बता दे अभी और कितने गम सहे।
कोई तो पल होगा जिसमें सुकूँ से रहे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

53.

अल्फाजों से सब कहां बयां होता है।
इश्क नज़रों के सामने जवां होता है।।

दिल बेचारा है जुस्तजू का मारा है।
सेहरा को भी बारिशे अरमां होता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

54.

पिता है भावनाओं का समंदर।
पुत्र यहां हर जज्बात को पाते है।।

भाग्यवान है हम सब सृष्टि पर।
जो ईश्वरीय रुप में पिता पाते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

55.

दिले जज़्बात अंदर लिए बैठा हूं।
एहसासों का समन्दर लिए बैठा हूं।।

कब आओगे हमारी जिन्दगी में।
तुम्हारे लिए इसे संवार कर बैठा हूं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

56.

दिले जज़्बात अंदर लिए बैठी हूं।
एहसासों का समन्दर लिए बैठी हूं।।

कब आओगे हमारी जिन्दगी में।
यूं सज संवर कर तेरे लिए बैठी हूं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

57.

दुआ हो हमारी बद्दुआ ना बनो।
इंसान हो यूं ऐसे शैतानो से ना बनो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍


58.

किस्मत ना बदली सब कुछ बदल गया है।
जवानी निकल गईं है अब बुढ़ापा शुरू हुआ है।।

क्या बताए हाल ए जिंदगी बस यूं समझिए।
मेरी ही कश्ती डूबी सबको किनारा मिल गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

59.

एक हम ही है गलत सबकी नजरों में।
दर्द ना दिखा किसी को बहते अश्कों में।।

यूं गहरी मोहब्बत ना मिलती है दिलों में।
हम खुद के जैसे है हमें ना गिनो बहुतों में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

60.

हमतो दुनियां लुटा बैठे हैं तुम्हारे प्यार में।
यूं खिजा बन गईं जिंदगी जो थी बहारों में।।

गल्ती हमारी ही है जो हद के बाहर गए।
उम्मीद कर बैठा दिल तुम्हारे किए वादों से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

61.

माना कि जो था वो मेरा वहम था।
पर जिन्दगी के लिए बड़ा अहम था।।

हमने तो रूह से मोहब्बत की थी।
जो तुमने किया वो हम पे सितम था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

62.

यूं इश्क के मारे है।
किस्मत के बस सहारे है।।

जानते है फरेबी है।
फिरभी दिलको लगाए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

63.

सूरत के संग सीरत भी थी उसमे।
तभी हर दिल उसका ख्वाहिशमंद था।।

हर परेशानी को आसानी से जीता।
जिंदगी जीने में वह बड़ा हुनरमंद था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

64.

उम्मीद की रौशनी में इश्क हो रहा है।
बड़ा ख्वाब उन नजरों में सज रहा है।।

इश्क पर किसी का ना जोर चल रहा है।
कैद में है बुलबुल और सैयाद रो रहा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

65.

हमारी जिन्दगी है हमसे रूठी,
कैसे उसे मनाऊं।
दिल में है वफा की मोहब्बत,
कैसे उसे दिखाऊं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

66.

आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
वो देखो मां बाप कितना जार जार रो रहे हो।।

चुन चुन कर ख्वाबों से यूं सजाया था।
दीवारों दर तो छूटा ही है रिश्ते भी खो रहे है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍


67.

दुआओं में जिनको मांगा था।
वही अब बद्दुआ बन गए है।।

दिल जिनकी इबादत करता था।
वही किसी और के खुदा बन गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

68.

गरीब लड़की का बाप है सुकूँ से कहां सोएगा।
ब्याह करेगा इस बार अच्छी फसल जब काटेगा।।

मेघराज इस बार दया दिखाना इस किसान पे।
फसल अच्छी होगी तभी वो बेच के पैसे पायेगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

69.

इतने भी इम्तिहान मत लो कि हम टूटकर बिखर जाए।
गर बाद में तुम जोड़ना भी चाहो तो हम ना जुड़ पाए।।

हमारा दिल तो तुम्हारे लिए गहरा मोहब्बत का समंदर है।
मत करों यूं इश्क में आजमाइशे कही ये सूख ना जाए।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

70.

मां ने जानें कितने दुःख दर्द सहे है।
तब जाकर कहीं मेरे सपने पूरे हुए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

71.

मेरा कोई ना नसीब है।
किस्मत मेरी बड़ी गरीब है।

यूं आजमाइशे है बहुत।
जिंदगी गमों के करीब है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

72.

सितम पर सितम जिंदगी करती रही।
हम यही सोचकर जीते रहे कि ये आखिरी होगा।।

सांसों को हम राहत दे देते पहले ही।
गर हमको पता होता गमों से रिश्ता करीबी होगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

73.

बहते अश्कों से पूंछो सितम की कहानी।
दर्द बयां कर रही है जख्मों की निशानी।।

कुछ पल और रुक जाओ सुकूँ के लिए।
हम पर होगी तुम्हारी बड़ी ही मेहरबानी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

74.

जरा सामने बैठो जी भर कर देख लूं तुमको।
बुरा तो ना मानोगी अगर थोड़ा प्यार कर लूं तुमको।।

शायद अब मुलाकात हो नो हो यूं जिंदगी में।
बाहों में समेट करके थोड़ा महसूस कर लूं तुमको।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

75.

चेहरा तुम्हारा क्यों अश्कों से नम था।
नजरों में तुम्हारी क्यों बेपनाह गम था।।

तुम्हारी सिसकारियां मैने भी सुनी थी।
आंसुओ में तुम्हारे शोला और शबनम था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

76.

सबको पड़ी है बस हमको आजमानें की।
फिक्र ना है किसी में हमको अपनानें की।।

क्या रोना किसी के छोड़कर यूं जाने पर।
जहां में ज़िंदगियां होती हैं आने जाने की।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

77.

औरत तब तक औरत रहती है।
जब तक उस में गैरत बसती है।।

बे-पर्दे का हुस्न नंगापन होता है।
आंचल में इसे इज्जत मिलती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

78.

एहसासों के समंदर में मैं उसके खो गया।
एक बार फ़िर याद आकर मुझमें वो गुजर गया।।

दिले तमन्ना थी जिन्हें जिंदगी में पाने की।
इस दुनियाँ की भीड़ में जानें कहां वो खो गया।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

79.

मेरी मय्यत पर आकर वह खुब रोए।
उनको पता था हमारे जैसा महबूब ना मिलेगा।।

उनको अब ना मोहब्बत होगी दिलसे।
प्यार ही इतना देकर जा रहा हूं कम ना पड़ेगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

80.

तमन्नाओं के बाजार में हर ख्वाहिश मिलती है।
पैसा लेकर जाओ वहां ज़िन्दगी भी बिकती है।।

इज़्जत,आबरू हर दुकान पर सजी दिखती है।
हर पसंद की मिलेगी गर कीमत सही लगती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

81.

अंदाज़ ही उसका अलग होता है।
यूं जिसके सीने में जिगर होता है।।

हवा का रुख खुद ही मुड़ जाता है।
शाहशाहों का आगाज़ जुदा होता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

82.

दिल की ख्वाहिशें भी बेपनाह होती है।
इस जहां में सभी की ये पूरी कहां होती हैं।।

तमन्नाओं से भरा हर दिल तो मिलता है।
पर सबकी जिंदगी में खुशियां ना होती हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

83.

विदाई की घड़ी आ गईं है,,,
बिटिया मेरी पराई हो रही है।।

रोका बहुत इन आंखो को,,,
पर अश्कों से भरी जा रही हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

84.

इश्क में आशिकी भी हमेशा तड़पती है।
सहरा ए जमीं यूं आब को जैसे तरसती है।।

ये कमबख्त दिल तुम पर ही आशना है।
पर ये नजरें तुम्हारी बस गैरों को ढूंढती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

85.

हर किसी को विसाले यार ना मिलता है।
कद्रदान तो बहुत है दिले यार ना मिलता है।।

कहने को तो भीड़ से घिरे है हम हमेशा।
एहसासों को जो समझे,इंसा ना मिलता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

86.

कली को फूल बनते देखा है।
मासूमियत को शूल बनते देखा है।।

इतनी मोहब्बत अच्छी नहीं है।
मैने दिलो को फिजूल होते देखा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

87.

ऐ जिंदगी तुझ्से नही है कोई भी शिकवा।
शिकायत क्या करें जब खुदा ने ही ना दिया।।

जिसपे मरते थे उसने भी इश्क ना किया।
रिश्तों में उसने भी हमको समझा है बेवफा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

88.

उसके जैसा कोई रिश्ता नही है।
मां कभी होती बेपरवाह नही है।।

सब के लिए मोहब्बत है उसमे।
फरिश्ता है वो कोई इंसा नही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

89.

रिश्ते नाते सब ही हमसे हो गए है जुदा।
ऐसी जिन्दगी जी नही जाती हमसे ऐ खुदा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

90.

इतनी आजमाइशे मुझको ना दे मेरे खुदा।
क्या इश्क करना जहां में इतनी बडी है खता।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

91.

बहते अश्कों से पूंछो सितम की कहानी।
दर्द बयां कर रही है जख्मों की निशानी।।

कुछ पल और रुक जाओ सुकूँ के लिए।
हम पर होगी तुम्हारी बड़ी ही मेहरबानी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

92.

हर मांगी मन्नत यहां पे पूरी होती है।
इस दर पे दुआओं को हमने मकबूल होते देखा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

93.

मेरी जिन्दगी भी बड़ी अजीब है।
मेरे अंदर ना कोई भी तहजीब है।।

जनता हुं मै गलत कुछ होगा नही।
मां की दुआ खुदा के बड़े करीब है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

94.

बेपरवाह बचपन है,
बेपनाह खुशियों से भरी जवानी है।।

तन्हाई का बुढ़ापा है,
हर जिंदगी की बस यही कहानी है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

95.

औरत तब तक औरत रहती है।
जब तक उस में गैरत बसती है।।

बे-पर्दे का हुस्न नंगापन होता है।
आंचल में ही इज्जत मिलती है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

96.

बेकार ही रंग लिए,,,
तुमने अपने हाथ हमारे खून से।

मांग लेते हमसे तुम,,,
हमारी जां तो हम दे देते सुकून से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

97.

इंसान वही रहते है बस दिल बदल जाते है।
ऐसे जीने में मुश्किल हर पल नज़र आते है।।

हर नज़र ही निगहबान बनी हुई है उस पर।
यूं बंद घरों में इंसानी मुकद्दर बदल जाते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

98.

सितम पर सितम जिंदगी करती रही।
हम यही सोचकर जीते रहे कि यह आखिरी होगा।।

सांसों को हम राहत दे देते पहले ही।
गर हमको पता होता गमों से रिश्ता करीबी होगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

99.

मोहब्बत हो तो हर शाम महफिल है।
बिना दिले यार के इश्क में तन्हाइयां बहुत है।।

सुना है इंसा प्यार में बेखौफ होता है।
यूं मोहब्बत में दिलो की मनमानियां बहुत है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

100.

जिन्दगी रोती रहीं अश्क बहते रहे।
कोई हमारा ना हुआ हम किसी के ना हुए।।

अब तक बेनाम पड़े थे सड़को पे।
लोगो ने पूजा और यूं पत्थर खुदा बन गए।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Ankush Gupta said

किसी ने पूंछा क्या करते हो। हमने भी कह दिया इश्क करते है।। उसने कहा इसमें क्या मिलता है। हमने कहा दर्द ओ सितम सहते है।। Bahut khoob

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया आदरणीय।

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