उल्लुओं को अब प्रभात होने का इंतजार रहता है।
भ्रष्टाचार की फाइलें, इधर-उधर करने का षड्यंत्र याद रहता है।
डूब रहा है, यह उल्लू भी अपने ही खोदे गड्ढे में।
इसके भ्रष्टाचार की फाइलें पहुंच गई हैं, अदालतों में।
अब फैसला न्याय की सीमा में होगा।
अब उल्लू का प्रभात जेल की काल कोठरी में होगा।